मेघवंश का इतिहास
मेघों को मेघों से पूछते सुना है कि
क्या मेघों ने
कभी कोई युद्ध लड़ा है. मेघों ने ज़रूर
युद्ध लड़े
हैं. इसके पक्ष में पहला साधारण तर्क
तो यह है
कि कोई भी जातीय समूह वीरों से
विहीन नहीं होता
. यदि कोई वीर होने के साथ सभ्य
भी है तो वह
असभ्य और क्रूर जातीय समूह (जैसे
आर्य
या अन्य) से पराजित भी हो सकता
है.
संभवतः अपनी इसी कमज़ोरी के
कारण
मेघवंशियों ने युद्ध हारे हैं. लेकिन
मेघवंशी वीरों का कभी भी सर्वथा
अभाव नहीं रहा.
अब सूचना प्रणाली में आई तेज़ी और
नए
दृष्टिकोण ने उस इतिहास के अर्धसत्य
को पूर्णता प्रदान करने के प्रयास तेज़
किए
हैं. बताया जाने लगा है कि आधुनिक
इतिहास में
दलितों के सहयोग से लड़ा गया पहला
प्लासी का युद्ध था जिसे दुसाध
(पासवान)
वीरों के सहयोग से जीता गया.
दूसरा
भीमा कोरेगाँव का युद्ध है जो
पेशवाओं के
खिलाफ था और म्हारों के सहयोग से
जीता गया था. इस युद्ध ने भारत से
पेशवा राज
को समाप्त कर दिया.
इतिहासकारों ने म्हारों
और मेघों को एक ही जाति समूह का
माना है...
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मेघवंश के इतिहास में से एक उधाहरण
Sunday, December 13, 2015Posted by Prof.Raj kumar Bhagat at 8:30 AM
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