🙏" मेघ धर्म का मूल तत्व "🙏🏼
👉मानव सभ्यत्ता के असितत्व में आने के बाद मानव की जिंदगी को व्यवस्तिथ ढंग से निर्वाह करने एंव अन्य प्राणियों के संग एक संतुलन कायम करने के लिए एक व्यवस्था को धर्म कहा गया , वक़्त के साथ साथ अनुकूल प्रतिकूल परिस्तिथों के अनुसार धर्म के सवरूप एंव नाम
बदलते गए . महा मेघ धर्म को मूल धर्म माना गया है.
👉"अलख पुरख ले आरम धाया, अपणा तन से मेघ उपाया"
👉महा मेघ धर्म के मानने वाले समाज का अनादि कल से मुख्य पंथ " अलख नामी " है, अलख शब्द का भावार्थ अ मायने नहीं, लख मायने देखना . अर्थात वह सर्व्वयापक सत्ता जो इन चर्म चक्षुओं से न दिखाई देकर , केवल नाम ज्ञान अर्थात अध्यात्मक चेतना द्वारा अनुभव हो, उस सत्ता को "अलख " नाम से सम्बोधित किया गया है . निरंजन, ॐ, रारंग , सोऽहं ,निराकार, अविनाशी, आदि अनेक गुण वाचक शब्दों से वर्णित किया गया है.
👉जटिलता एंव सरलता से परिपूर्ण इस विषय की समझ पूर्ण गुरु के मार्ग दर्शन में ही आती है. आत्मसात एंव अद्धभुत मस्ती प्रदान करने वाले इस विषय की समझ आने पर सांसारिक दुखों एंव प्रत्येक भय से रहित परमान्द अवस्था का आनंद लिया जा सकता है .
👉समाज के अन्य प्रचलित धर्म भी महा मेघ धर्म की इसी विचारधारा पर आधारित हैं, इस अलखनामी विचारधारा का तमाम देवी देवता, ऋषि मुनि,संत-महात्मा ,ज्ञानी ध्यानी ,योगी, यति एंव मूल तत्व ज्ञानी कबीर साहेब,दादु, नानक, रवि दास, आदि ने अपने अपने अनुभव के आधार पर अलख को परम आराध्य लक्षित कर मुक्त कंठ से की है,
👉यह निर्विवाद सत्य है के प्राचीन काल से ही मेघवंश समाज के प्रत्येक मेघवंशी को निराकार ज्योति के सवरूप में दीक्षा दी जाती थी, अदीक्षित को निगुरा माना जाता था. अन्य जाती के लोग भी जाति पाती का भेद भुला कार आनंद से जीवन जीते थे.
👉वर्तमान में अन्य मत मतान्तरों के आकर्षक आडम्बरों को देख कर तथा मेघ धर्म का प्रचार प्रसार न होने की वजह से एंव वास्तविकता की अनभिज्ञता के कारण मेघ समाज के लोग ही इससे घृणा करके अन्य धर्म अपनाते जा रहे हैं.
👉अलख ज्योति जो सर्व व्यापक है, इस ज्योतिर्मय की की पूजा का मुख्य केंद्र मेघवंश समाज ही रहा है. इस घराने में आकर समाज की अन्य जातियां दीक्षित होती रही हैं.
खलक कहे सब अलख है, अलख खलक के माएं!
' गोकुल ' नभ ज्यूँ गर्क है, रंचक खाली नायें !!
अल्ला अलख और आत्मा , में तो जाणु एक !
ब्रह्म सर्वत्र ही रम रहा , आपो आप आलेख!!
👉 कबीर साहेब जी ने कहा है ....
कोटि नाम संसार में , तिनते मुक्ति न होय !
मूल नाम जो गुप्त है , जाने बिरला कोय !!
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मेघ धर्म के मूल तत्व
Tuesday, April 19, 2016Posted by Prof.Raj kumar Bhagat at 9:34 AM
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