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मेघ समाज से सम्बन्धित ज़रूरी जानकारियां

Friday, March 11, 2016

🙏🏼मेघ समाज का एक छोटा सा सिपाही : प्रीतम भगत,पठानकोट
☝जो करता नहीं कोई कमाई
सिर्फ जगाता है मेघों को ।
क्योंकि ये रुत जागने की है आई ।
👉अकेले से नहीं है काम चलने वाला इसलिए संत कबीर और बाबा साहेब वाली नीति है अपनाई ।   👉भला हो उसका जिसने भगत महासभा है बनाई ।                    👉संत कबीर और बाबा साहेब के मिशन को जिंदा करने की योजना बनाई ।                                  जय भीम -जय कबीर-जय मेघ
********************************************************🙏🏼सतगुरु कबीर साहेब जी के सत वचन ।                                ☝किसी राजा ने सतगुरु कबीर जी से प्रार्थना की किः "आप कृपा करके मुझे संसार बन्धन से छुड़ाओ।"
कबीर जी ने कहाः "आप तो धार्मिक हो... हर रोज पंडित से कथा करवाते हो, सुनते हो..."
"हाँ महाराज ! कथा तो पंडित जी सुनाते हैं, विधि-विधान बताते हैं, लेकिन अभी तक मुझे भगवान के दर्शन नहीं हुए हैं... अपनी मुक्तता का अनुभव नहीं हुआ। आप कृपा करें।"
"अच्छा मैं कथा के वक्त आ जाऊँगा।"
समय पाकर कबीर जी वहाँ पहुँच गये, जहाँ राजा पंडित जी से कथा सुन रहा था। राजा उठकर खड़ा हो गया क्योंकि उसे कबीर जी से कुछ लेना था। कबीर जी का भी अपना आध्यात्मिक प्रभाव था। वे बोलेः
"राजन ! अगर कुछ पाना है तो आपको मेरी आज्ञा का पालन करना पड़ेगा।"
"हाँ महाराज !"
"मैं आपके तख्त पर बैठूँगा। वजीर को बोल दो कि मेरी आज्ञा का पालन करे।"
राजा ने वजीर को सूचना दे दी कि अभी ये कबीर जी राजा है। वे जैसा कहें, वैसा करना।
साहेब कबीर जी ने कहा कि एक खम्भे के साथ राजा को बाँधो और दूसरे खम्भे के साथ पंडित जी को बाँधो। राजा ने समझ लिया कि इसमें अवश्य कोई रहस्य होगा। वजीर को इशारा किया कि आज्ञा का पालन हो। दोनों को दो खम्भों से बाँध दिया गया।

साहेब कबीर जी पंडित से कहने लगेः
"देखो, राजा साहब तुम्हारे श्रोता हैं। वे बँधे हुए हैं, उन्हें तुम खोल दो।"
"महाराज ! मैं स्वयं बँधा हुआ हूँ। उन्हें कैसे खोलूँ ?"
कबीर जी ने राजा से कहाः "ये पंडित जी तुम्हारे पुरोहित हैं। वे बँधे हुए हैं। उन्हें खोल दो।"
"महाराज ! मैं स्वयं बँधा हुआ हूँ, उन्हें कैसे खोलूँ ?"
कबीर जी ने समझायाः

बँधे को बँधा मिले छूटे कौन उपाय ।
सेवा कर निर्बन्ध की पल में दे छुड़ाय ।।

'जो पंडित खुद बन्धन में है, जन्म-मरण के बन्धन से छूटा नहीं, उसको बोलते हो कि मुझे भगवान के दर्शन करा दो, संसार के बंधनों से छुड़ा दो?

अगर बंधन से छूटना है तो उनके पास जाओ जो स्वम्  कर्म-भोग, जन्म-मरण के बंधनों से छूटे हैं। ऐसे निर्बन्ध ब्रह्मवेत्ता और कर्म-बंधनों से छुड़ाने वाले संसार में केवल वो लोग ही है जो सर्वत्र का भले की कामना करते है जो खुद के लिए नही ओरो के लिए जीते है जिनका ऋदय प्रेम से परिपूर्ण है।।                          सतगुरु कबीर पंथ  🙏🙏🙏🙏🙏 प्रो राज कुमार भगत,राष्ट्रीय अध्य्क्ष,भगत महासभा।
******************************************************** 🙏🏼एडवोकेट हंसराज भगत और मिलखी राम भगत जम्मू की मेघ समाज को देन।                        👉जब पंजाब की अनुसूचित जातियों की सूची जब बन
रही थी तब मेघों के बारे में कहा गया कि इस जाति के
सामाजिक रीति-रिवाज़ ब्राह्मणों जैसे हैं इसलिए
इन्हें अनुसूचि में शामिल न किया जाए. ऐसा कहने के
पीछे मंशा यह थी कि मेघ सस्ते मज़दूर बने रहें. लेकिन
👉श्री हंसराज भगत, एडवोकेट और डॉ. अंबेडकर के
प्रयासों से मेघों को उक्त सूची में शामिल कर लिया
गया. लेकिन बाद में भी कुछ लोग लिखते रहे कि मेघ
समाज को इस सूची में रखना ग़लत है अतः सूची से इन्हें
हटाया जाए. यह बात मिल्खी राम जी को दिल्ली
के एक मित्र ने टेलिफोन पर बताई. बिना समय खोए
भगत जी अपने साथियों और सामाजिक
कार्यकर्ताओं के साथ दिल्ली गए और स्थिति को
संभाला. आज सभी जानते हैं कि मेघों के आर्थिक
विकास के पीछे आरक्षण की बहुत बड़ी भूमिका रही
है.

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