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देखिये भारत का इतिहास मेघों की सिंधु घाटी की सभयता से शुरू होता है ।ज़रूर पड़ें।

Tuesday, March 22, 2016

☝देखिये भारत का इतिहास मेघों की सिंधु घाटी सभ्यता से शुरू होता है । ज़रूर पढ़ें।

लेकिन स्मरण रहे सिंधु घाटी सभ्यता इतिहास में शुरू से जुड़ा नहीं था यह हाल ही में भारतीय  इतिहास के पन्ने में 1921 के बाद 20 वी सदी में
जोड़ा गया है।
आपने पढ़ा होगा
👉हड़प्पा का खोज -राय बहादुर दया राम साहनी ने- 1921 में किया गया
👉मोहनजोदड़ो का खोज -राखल दास बनर्जी ने -1922 में किया।
इसी क्रम  में अनेक जगहों की खुदाई किया गया। अनेक  पुरातत्ववेत्ता ने अब तक 1000 स्थानों की खुदाई की 👉जिसमे 6 स्थानों (हड़प्पा,मोहनजोदड़ो,
कालीबंगा,लोथल,वनवाली,
रंगपुर) को नगर की संज्ञा दिया गया।
और इसे संयुक्त रूप से
🌸सिंधु घाटी की सभ्यता 🌸या हड़प्पा सभ्यता🌾 नाम दिया गया।
खुदाई के दौरान प्राप्त अवशेषो के आधार पर
👉कार्बन डेटिंग विधि c-14 से निष्कर्ष निकाल गयेे की
सिंधु  घाटी सभ्यता

👉एक नगरीय /शहरी सभ्यता थी
सिंधु घाटी सभ्यता का विकसित होने का काल 👉2750-1500 ईसा पूर्व बताया गया है।
👉सिंधु वासी पक्के ईट के मकान में रहते थे ।
💧पानी निकासी के विशेष प्रबंध थे,
💡कृषि के लिए सिचाई के साधन कुआँ, नहर से की जाती थी।
💡स्त्री पुरुष दोनों सजते सवरते
थे।
💡प्राप्त ताबिजो के आधार पर बिद्वान पुरातत्ववेत्ता कहते है की वे कुछ अन्धविस्वासी भी थे।

💡सत्ता राजतन्त्र ,मातृतसभ्यता था ,सिंधु वासी स्त्री का बहुत सम्मान करते थे।

👉समाज चार भागो में बटे थे

💡(1)बिद्वान(पुरोहित वर्ग)

💡(2)योद्धा (क्षत्रिय वर्ग) आज का sc/st इसी वर्ग से आते है।इन्होंने लड़ा इस कारण इन्हें अछूत बनाया गया।अछूत कोई प्रकृति प्रदत्त जाति नहीं ब्राम्हणो का बनाया गया जाति है।विश्व में ऐसा मनुस्य जोअछूत हो विश्व में कही नहीं )

💡(3)व्यापारी  (वैश्य वर्ग )

💡(4) श्रम जीवी वर्ग

लेकिन पुरातत्ववेत्ता कहते है सबका मकान एक जैसा था।इससे पता चलता है सबकी आर्थिक स्थिति लगभग एक समान थी।

🌾सिंधु वासी युद्ध प्रेमी नहीं थे ,शांतिप्रिय थे।
💐मोहनजोदड़ो में भारी नरकंकाल मिले जिससे पुरातत्व वेत्ता कहते है की यह युद्ध में मारे गये लोगो के नरकंकाल है।
जो इतिहास में वर्णन है भी की देवासुर संग्राम हुवा था,मुझे पूरा यकीन है की ये अस्थिया सिंधु वासी लोगो का ही है जिसे मारकर एक जगह दफना दिया गया है।
🌻नगर की बनावट आधुनिक काल से तुलना करने लायक था।
🌻सिंधु वासी सूरा पान अर्थात मंदिरा नशा नहीं करते थे।
इस कारण आर्य यहाँ के मूलनिवासी को असुर कहते थे।
🌷देश विदेश से व्यापार होता था ,सुमेर प्रमुख व्यपारिक केंद्र थे।लोथल जैसे कई बंदरगाह मिले है।
🌾भाषा मर हटी ,लिपि चित्रात्मक थी।
👉मूर्ति निर्माण,चित्रकला ,हस्तकला में माहिर था,उस समय की सोने के नक्कासी देखकर विदेशी लेखक लिखते है की इसे देखकर ऐसा लगता है जैसे यह  लंदन के किसी ज्वैलरी सराफा दुकान से लाया गया हो।

💐सिंधु सभ्यता नस्ट होने के कारन विद्वान वर्ग ,पुरातत्ववेत्ता इस प्रकार बताते है।कि-
👉🏿सिंधु घाटी सभ्यता का विनाश आर्यो के आक्रमण के ही  कारण हुवा।
स्मरण रहे, आर्य (ब्राम्हण ,बनिया,क्षत्रिय  ) अभिजात वर्ग को ही कहते है।
👉🏿👉🏿कुछ बिद्वान का कहना है की इस सभ्यता के लोगो पर क्रमिक हमला किया गया ,कई जगह अग्निकांड किया गया।जिन्दा लोगो को जलाया गया।
👉🏿कुछ बिद्वानो का कहना है की बाढ़ के कारण भी यह सभ्यता नाश हुवा ।
👉कुछ बिद्वानो का कहना है कि सिंधु वासी युद्ध प्रेमी नहीं थे इस कारण भी इस विकसित सभ्यता का नाश हुवा।

💡कहने का तात्पर्य यह है की इतनी विकसित सभ्यता कैसे गायब हो गया ।
आज अगर 1921 ,1922 में इन जगहों को पुरातत्ववेत्ता खुदाई नहीं करता तो आपको इस विकसित सभ्यता का  भारतीय इतिहास में पढ़ने को नहीं मिलता।
💡अब सवाल यह पैदा होता है जिस इतिहास का पता आज 20 शताब्दी में हो रहा है उस इतिहास का पता क्या किसी को नहीं था।
अब सवाल यह बनता है की

💡सिंधु वासी क्या सब मर गये।
या जीवित है?

💡अगर जीवित है तो वर्तमान में कौन लोग है वो?
👉अब  इतिहास का अगला चरण
आर्यो के आगमन से शुरू होता है।
आपने पढ़ा होगा की आर्य भारत के मूलनिवासी नहीं है।आर्य मध्य एशिया के यूरेशिया क्षेत्र से आये हुवे लोग है।इस सन्दर्भ में कई देशी विदेशी लेखक बिद्वानो ने अपने मत रखे की आर्य भारत के मूलनिवासी बिलकुल ही नहीं है ये विदेशी है।इनकी भाषा संस्कृत है जो यूरोपीय भाषा है।अर्थात ये यूरोपीय लोग है।
बाबा साहब के बुक में पढ़ने को मिला की आर्य में तीन जाति के लोग थे अर्थवा ,रथारिस्ट,वस्तारिया जो देवासुर संग्राम के बाद खुद को ब्राम्हण,क्षत्रिय ,वैश्य कहलाये और भारत के मूलनिवासी को शुद्र कहे ।
और उपरोक्त तीनों वर्णों का सेवा करने का काम दिया।

इनके लिखे धर्म शास्त्र अनुसार 
👉आर्य 3300 ईसा पूर्व भारत में आये,जिस समय समूचे भारत में तीन राजाओ(राजा शंकर पूर्वोत्तर भारत में ,राजा बाली उत्तर भारत में , राजा रावण दक्षिण भारत में)का राज था।

👉ये लोग 3150 इसा पुर्व तक यहाँ झुंगी झोपडी बनाकर रहे और चोरी चकारी से पेट पालन किये।पकडे जाने पर पेट का हवाला दिया।राजा बाली बहुत ही दयालु राजा था उन्होंने आर्यो को माफ़ किया और रहने खाने के लिए कुछ जगह जमीन ,रुपये ,खाद्य सामान दे दिए।150 साल में ये लोग द्राविनो को पूरा भांप गये फिर 3150 ईसा पूर्व से उन्होंने सडयंत्र करना आक्रमण करना जारी रखा जो 1500 ईसा पूर्व ता जारी रहा।फिर इन्होंने वैदिक युग का पारंभ 1500 ईसा पूर्व में रखा,ऋग्वेद पहला ग्रन्थ लिखा उसी अनुसार सत्ता का संचालन वर्ण ब्यवस्था बनाकर किया गया जिसमे भारत के मूलनिवासी को शुद्र वर्ण में डाल दिया और जो यौद्धा जमात लड़े उसे अछूत घोसित किया।और समाज के घृणित कार्य दिये।

👉इन्होंने सडयंत्र पूर्वक राजा बाली से तीन वचन माँगा(त्रिवाचा) जो उस समय प्रचलित था की जो राजा तीन बार कह दे उसे राजा को देना ही होता था,
इसी का फायदा उठाते हुवे बामन उर्फ़ (आज जिसे विष्णु भगवान कहते है )राजा बाली से त्रिवाचा कराने के बाद तीन मांग रखी।
👉पहला वचन -कि हे ! राजा हमें ऐसी शिक्षा का अधिकार दे जिसे हम चाहे तो दे न चाहे तो न दे।
👉दूसरा वचन-हे! राजा हमें ऐसी धन का अधिकार दे जिसे हम चाहे दे न चाहे तो न दे।
👉👉तीसरा वचन-हे! राजा हमें ऐसी राज करने का अधिकार दे जिसे हम चाहे राज कराये और न चाहे तो न कराये।
इस प्रकार राजा बाली से सडयंत्र पूर्वक त्रिवाचा कराकर शिक्षा,धन,राज करने का अधिकार ले लिया।
फिर राजा को राज सत्ता से बेदखल कर मार कर जमीन में गाड़ दिया ।
💡जिसे लोगो के सामने दूसरे ढंग से पेश किया गया की राजा बाली से तीन पग धरती में बामन ने जगह माँगा और मारकर जमीन में गाड़ दिया गया जिसे झूठा प्रचार किया गया, की राजा बाली को पाताल लोक का राजा बना दिया।
💡आज विज्ञानं का युग है सौरमंडल ,आकाशगंगा,गैलेक्सी,ब्रम्हांड चाँद सूरज ,तारा सब का पढाई कर लिए है ।कहाँ पर पाताल लोक कहाँ पर स्वर्ग लोक है कहाँ पर नर्क लोक है , शेष नाग धरती के फन पर खड़ा है
आज तक बड़े से बड़े बिद्वान वैज्ञानिक खोज नहीं कर पाये, ऐसी बातो का विश्लेषण कर सत्य क्या है खुद जान सकते है।
💡इस प्रकार सद्यंत्रपूर्वक ही राजा शंकर को आर्य पुत्री पार्वती के द्वारा फसाकर जहर देकर  मारा गया ,जहर से शरीर नीला पड़ गया तो उसे नीलाम्बर कह दिया।,उसके सेना पति महिसासुर को दुर्गा के रूप में पार्वती ने ही मारा , ,राजा रावण भाभिसन  के छल से मारा ।छोटे छोटे अनेक राजाओ को क्रमश मारता गया।इसकी विस्तृत जानकारी यहाँ नहीं बता पाउँगा।
👉🏿इसके बाद ही भारत के द्रविण मूलनिवासी जिसे आर्य लोग अनार्य ,असुर कहे और आर्यो के बीच लगातार क्रमिक युद्ध चला ,जिसे इतिहास में देवासुर संग्राम (आर्य खुद को देव और भारत के मूलनिवासी को असुर कहते है ) चला जिसमे भारत के मूलनिवासी आर्यो के साम,दाम,दंड,भेद नीति से परास्त हुवे ।अंतिम युद्ध के दौरान जो जान बचाकर जंगल में शरण लिए वो आज का आदिवासी समाज है।और जो लोग लड़भीड़ कर वही रुक गये ,जिसने उनके संस्कृति को स्वीकारा नहीं उसे समाज से बहिस्कृत कर अछूत नाम दिया गया।
स्मरण रहे आज का दलित आदिवासी सिंधु घाटी सभ्यता के समय क्षत्रिय (योद्धा जमात) थे।
और युद्ध के बाद यहाँ के मूलनिवासी को शुद्र घोसित करवाया,और उन्हें ब्रम्हाण,बनिया,क्षत्रिय का एक मात्र सेवा करने का काम दिया ।जिसे आप बुक में पढ़े भी होंगे।
💡ऋग्वेदिक काल में ऋग्वेद का निर्माण हुवा जिसमे पुरुष शुक्त में इस वर्ण ब्यवस्था का वर्णन है जिसे ईश्वरी आदेश बताकर लोगो से बलपूर्वक मनवाया गया।
👉अनेक देवी देवता का निर्माण किया गया ताकि हमें धार्मिक गुलामी में बांध सके।इसमें से कुछ देवी देवता के रूप में हम आर्य की ही पूजा करते है जिसने हमारे मूलनिवासी राजाओ की हत्या किया है।
💡ये सारे देवी देवता काल्पनिक और सरासर false है।अगर देवी देवता का अस्तित्व में सच्चाई होता तो पुरे विश्व भर में इनका अस्तित्व होता ,भारत को छोड़ अन्य देश में ये देवी देवता क्यों प्रकट नहीं हुवे ,क्यों  अन्य देश में चमत्कार नहीं कर सके ,इसे अन्य देशो में प्रकट होने से किसने रोका है।
ये सारे देवी देवता सरासर झूठ है धोखा है इसके पीछे ब्रम्हाण आर्य का एकमात्र उदेश्य इस विशाल शुद्र जनसमुदाय को धार्मिक तरीके से अपने नियंत्रण में रखना है ।

दूसरा और कोई बात नहीं है।
आज इतने माता ,बहन, बेटी के साथ बलात्कार हत्या हो रहा है
निर्दोष लोगो की हत्या ,या जाति धर्म के नाम पर मारा काटा या सताया जा रहा है।2 साल 5 साल के बच्ची तक से बलात्कार किया जा रहा है तो  क्यों नहीं आता कृष्ण भगवान् उसे बचाने या अन्य देवी देवता उसे बचाने।ये सिर्फ रील लाइफ में बचाते है रियल लाइफ में बचाते तब तो हम मानते की दुनिया में भगवान नाम का चीज है।स्वंम भगवान् के मंदिर में बलात्कार हो जाता है ,और भगवान महाराज देखते रहते है,।सुबह न्यूज़ में खबर आता है दबंगो ने मंदिर में अबला महिला का इज्जत लुटा,दरिंदो ने भगवान के मूर्ती गहने तक लूट डाले।भगवान खुद पर बैठे मक्खी नहीं भगा सकता। किस भ्रम में जी रहे हो। मन में संदेह मत पालो की कोई भगवान तुम्हारा इस दुनिया में रक्षा करेगा।तुम्हे तरक्की देगा।

👉आगे चलकर उत्तरवैदिक काल में स्थायी गुलाम बनाने के लिए 💡सामवेद,यजुर्वेद,अर्थववेद का निर्माण किया गया ,जिसमे जाति ब्यवस्था सिर्फ शुद्र का बनाया गया उसके बीच विवाह के प्रतिबन्ध लगाये गए की एक जाति दूसरे जाति से शादी नहीं करेगा ताकि सामजिक एकता शुद्र उर्फ़ भारत के मूलनिवासी जो अब तक sc/st/obc के रूप में 6743 जाति में टुटा है।कभी भी एक न हो पाये।
💐महिलाओ को शिक्षा से वंचित करना वो भी सवर्ण महिला को इससे ऐसा लगता है की आर्य अपने साथ स्त्री नहीं लाये थे,यही की महिला को जबरदस्ती लूट कर ले गये होंगे और उन्हें दास के रूप में रखते थे सिर्फ वासना के लिये, शायद इसी कारण सवर्ण महिला को शिक्षा नहीं दिया गया और ढोर गवार शुद्र पशु और नारी कहा गया।
मैं समझता हूँ की कोई भी पति अपने पत्नी को शिक्षित क्यों नहीं होने देगा।निश्चित ही सवर्ण की महिला यही की मूलनिवासी नारी तो नहीं।
👉यही ब्यवस्था मगध साम्राज्य(हर्यक वंश ) के आने तक चला जिस कारण इसे वैदिक युग कहा गया।

👉🏿वैदिक युग के बाद मगध साम्राज्य (600 ईसा पूर्व से 184 ईसा पूर्व )आया।महावीर स्वामी ,गौतम बुद्ध मगध कालीन है इन्होंने वेद को झूठा करार दिया,और अनीश्वरवाद का सिद्धान्त दिया की दुनिया में ईश्वर नाम का कोई चीज नहीं है।आपके दुखो को खुद को हल करना है।जाति गत असमानता गलत है और उन्होंने समानता ,समता ,बंधुता का सिद्धान्त दिया ,बुद्ध के बाद सबने वेद को दरकिनार कर दिया।और मौर्य वंश में मानवता समानता समता बंधुता ने स्थान लिया।जो 👉🏿ब्रम्हाण सेनापति द्वारा  (सम्राट अशोक के परपोता )बृहद्रथ का हत्या करके शुंग वंश का स्थापना किया ,फिर से अंधविस्वास के ग्रन्थ रामायण महाभारत और वेद आधरित कानून युक्त मनुस्मृति लिखा।
इसके बाद बौध्हो और ब्राम्हणो के बीच एक लंबी युद्ध की शृंखला चली ,जो तुर्क मुसलमान  के आने तक चला।
इस प्रकार
कभी ब्रम्हाण साम्राज्य हावी हो जाता ,कभी बौद्ध साम्राज्य हावी हो जाता।
इसी क्रम में
कण्व वंश
कुषाण वंश
गुप्त वंश
सातवाहन वंश ,चेर,चोल,हर्षवर्धन वंश,पण्ड्या वंश,पल्लव वंश ,राष्ट्रकूट वंश,गहड़वाल वंश,शक वंश ,कई वंश चला ।
बीच बीच में तुर्क मुसलमानो ने हमला जारी रखा।
मुहम्मद बिन कासिम(7 वी सदी में )
महमूद गजनवी(11 वी सदी में)
मोहमद गौरी(11-12) सदी में आक्रमण किया।
तुर्को को ब्राम्हणो ने नेवता दिया था की वो बौध्हो को ख़त्म करे ,उनके विहारों को तोड़े फोड़े।
तुर्को ने ऐसा ही किया उन्होंने बौध्हो को मारा काटा ,साथ ही  ,50000 ब्राम्हणो को भी हत्या कर सोमनाथ मंदिर लूट लिए जहाँ अपार सोने का भण्डार था।
बौद्ध लोग इसी समय मुसलमान बने और मुसलमान बनकर ब्राम्हणो को कुचला।
इसी कारण ब्राम्हण अछूत आज का दलित आदिवासी (sc/st) व मुसलमान को अपना जानी दुश्मन समझता है।
💡इसके बाद दिल्ली सल्तनत कालीन युग आया जिसमे कुतुबुद्धिन ऐबक को दिल्ली का सत्ता सौप कर मोहम्मद गौरी गजनी चला गया जहा उसकी हत्या दुश्मनो ने 1206 में कर दी।
इसके बाद
🌻कुतुबुद्धिनऐबक,
🌻इल्तुतमिश,
🌻रजिया सुल्तान
🌻बलबन
,🌻ख़िलजी,
🌻लोधी
वंश का शासन रहा।
फिर
👉मुग़ल साम्राज्य 1526 से शुरू हुवा जिसमे।
🌻बाबर ,
🌻हुमायूँ
🌻शेरशाह सूरी
🌻फिर हुमायूँ
🌻अकबर
🌻जहांगीर
🌻शाहजहाँ
🌻औरंगजेब
का शासन चला ,फिर उत्तर कालीन मुग़ल साम्राज्य में
🌻मुहमद शाह
🌻मुहम्मद शाह आडिल
🌻फरुख्शियर कई मुसलमान शासक हुवे।
व अंतिम मुग़ल सम्राट बहादुर शाह जफ़र के बाद मुग़ल साम्राज्य का पतन हो गया।
फिर अंग्रेज का शासन शुरू हुवा।
👉अंग्रेज यूरोप में छापेखाने की मशीन व अन्य अविष्कार से यूरोप में औधोगिकीकरण का शुरुवात हुवा और ब्यापार का प्रसार के लिए 💡डच,पुर्तगाली  ,फ़्रांसिसी , अंग्रेजो का आना शुरू हुवा,
सर टामस रो  जहांगीर के समय व औरंगजेब के समय आये थे फिर 17 सताब्दी में जहांगीर ,औरंगजेब से  अनुमति लेकर भारत में कंपनी स्थापित किये,धीरे धीरे पुरे भारत में कंपनी स्थापित करना शुरू किया।व्यापार के लिए यूरोपीओ के बीच भी संघर्ष युद्ध चला।
👉फिर औरंगजेब के बाद यहाँ के राजाओ में फुट पडने लगा,कई रियासतो में टूटने लगा। उसी का फायदा उठा कर मुसलमानी राजाओ से भी युद्ध हुवा।अंतत युद्ध के बाद कई समझोउता संधि हुवा ,कंपनी के अधीन शासन चलने लगा।
उसी समय सिखो के साथ ,मराठो के साथ ,हैदराबाद के निजामो के साथ अन्ग्रेजो का युद्ध हुवा 1857 तक 55% हिस्सों को अंग्रेजो ने कब्ज़ा कर लिया।1857 के क्रांति को अंग्रेजो ने बुरी तरह से कुचला लाखो लोगो को गोली से भून दिया गया,हजारो लोगो को खुले आम फांसी दे दिया गया।
अंग्रेजो ने अपने राजकीय काम काज के लिये आर्य ब्रम्हाण को चुना ,पर ब्रम्हाण अपने चालाकी सडयंत्र कारी बुद्धि दिखाने लगे जिसे भाप कर अंग्रेज शुद्रो को भी शिक्षा देना शुरू किया।1813 में पहली बार शुद्रो (sc/st/obc व वंचित सवर्ण/अवर्ण महिला)को भी  शिक्षा देना शुरू किया।
👉इस परिवर्तन से घबराकर आर्यो ने अंग्रेजो के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
अंग्रेजी शासन में शुद्रो को दिए शिक्षा के अधिकार के कारण बाबा साहब पढ़ पाये।फिर भी छुवाछुत का दंश झेलते रहे।स्मरण रहे बाबा साहब दलित समाज में पहला ब्यक्ति था जो मेट्रिक पढाई तक पहुचे।उस समय पूरा दलित आदिवासी, पूरा अनपढ़ था,और
👉महात्मा ज्योतिबा के समय 1827 में पूरा शुद्र ही जिसमे आज का sc/st/obc  अनपढ़ था बाबा साहब उस समय की स्थिति से बहुत क्षुब्ध थे और  इतना पढ़ा की 5000 साल की ब्राम्हणो की
वेद आधरित ,मनुस्मृति आधारित वर्ण व जाति आधरित  ब्यवस्था को बदल कर रख दिया।जो भारत के मूलनिवासी से 5000 साल पहले आर्यो ने हमसे छीन रखा था।आज शुद्र की मुख्य बेड़िया टूट चुकी है लेकिन शुद्रो में जाग्रति के अभाव में शासन से दुरी अभी बना ही  है।जो निकट भविष्य में सफल होगा।
इसमें हमारे सभी संत महापुरूषो का योगदान भी शामिल है।जिसमे 🌻गुरुनानक,संत रविदास,संत कबीरदास,संत चोखामाला ,गुरु घासी दास ,गुरु बालक दास,स्वामी विवेकानंद,महात्मा ज्योतिबा फुले ,माता सावित्री बाई फुले ,माता मिनीमाता,साहूजी महाराज ,संत गाडगे बाबा,बड़ोदा के गायकवाड़ महाराज व कई संत महापुरुष शामिल है।
जरुरत है मूलनिवासी को उनके मूल इतिहास से  जगाओ।ब्राम्हणवाद (अंधविस्वास ,जादू टोना टोटका ,जाति ,उपजाति,वर्ण,देवी देवता ,चमत्कार,ग्रह,स्वर्ग,नरक ,नक्षत्र,भाग्य,किस्मत,) को भगाओ ,भगाओ बोलने से दिमाग से इस फ़ालतू के संदेह को delete करो,मिटाओ।
और सविधान की पढाई कर अपने अधिकार को जानो,गहन अध्ययन कर शासन,प्रशासन ,नोकरी में पाव जमाओ ,जिसका मुख्य आधार सिर्फ शिक्षा है।
👉शिक्षा( ज्ञान) बल से ही आप हर चीज को पा सकते है अपने अंधविस्वास को नाश कर सकते है।पाठ्य पुस्तक के अतिरिक्त हर प्रकार के बुक को पढ़ो और अपने हित अहित का सही विश्लेषण कर सही सरकार ,सही कांसेप्ट को चुनो।

🌎जय भीम जय भारत।🌎

1 comments:

Unknown Reply To This Comment said...

1st sindhupati samrat Kon the pls give me correct ans

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