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वीर मेघमाया: एक वीर महापुरुष

Friday, February 12, 2016

☝वीर मेघमाया : एक वीर महापुरुष
                                                                                                                  एक वीर महापुरुष के बारे में बताना चाहता हूँ।

महापुरुष का नाम है- वीर मेघमाया।

भारत के मूलनिवासी/मेघवंशी लोगों को यह महापुरुष के बारे में जानकारी नही होगी, क्योंकि इसका सही इतिहास छिपाया गया है।

हमारे महापुरुष का इतिहास ज्यादातर लोग जानते ही नहीं है और हमारे लोग जानने की कोशिश भी नही करते है। मैं जितना जानता हूँ, इतना जरूर बता रहा हूँ।

वीर मेघमाया गुजरात राज्य के धोलका तहेसील के रनोडा गाँव में 12वीं सदी में जन्मा हुआ था, तब गुजरात का पाटनगर पाटन था।12 वीं सदी में पाटन राज्य का राजा सिध्धराज सोलंकी था। उस समय पर अछूतों उपर भयानक, दर्दनाक, अत्याचार राजा सिध्धराज सोलंकी की तरह से किया जा रहा था।

तब वीर मेघमाया ने ठान लिया था कि, अछूतों पर हो रही भयंकर गुलामी में से आझाद करके रहूंगा, चाहे मेरा प्राण क्यूँ चला न जाय। वीर मेघमाया ने उनका मिशन चालू किया। एक-एक अछूत का समजाने का, जागृत करने का अभियान चालू किया।

उस समय अछूतों को आगे कूलडी और पीछे झाडू रखना पडता था और सिर्फ रात के समय में ही बहार निकलना था। दिन में अगर अछूत की पडछाइ भी पड गयी तो मृत्युदंड की सजा की जाती थी। ऐसे समय में विर मेघमाया ने अछूतों के साथ हो रहे भयंकर अन्याय के खिलाफ अछूतों को जागृत करता रहा।

यह बात राजा के ब्राह्मण सेनापति के कान में आई। ब्राह्मण सेनापति ने वीर मेघमाया का पूरा इतिहास जान लिया और राजा सिध्धराज सोलंकी को अछूत वीर मेघमाया के बारे में पूरा माहितगार किया। तब राजा ने कहा क्या किया जाय अछूत को, ब्राह्मण सेनापति बडा होशियार था।

उस समय पाटन राज्य में लगातार तिन साल से बारिश नही हो रही थी। पूरा पाटन पानी सेे तरस रहा था। तब ब्राह्मण सेनापति ने वीर मेघमाया को जान से मारने का प्लान बनाया और राजा सिध्धराज को बताया कि, हमारी प्रजा पानी की तरस से मर रही हैं। हम वीर मेघमाया को पाटन की वाव (एक तरह का कूआ) मे बलि चढा दे और प्रजा को बताया जाय कि वाव में बतीस लक्षणों वाला पुरुष का भोग किया जाय तो जरूर चमत्कार से पानी प्रगट होगा।

तब प्लान बना के राजा ने ऐलान कर दिया कि बत्रीस लक्षणों का पुरूष की तलाश की जाय, तब ब्राह्मण सेनापति ने वीर मेघमाया का नाम बताया और सिध्धराज ने स्वीकार भी कर लिया। यह पूरी जानकारी वीर मेघमाया को बताइ गइ।

वीर मेघमाया पूरा प्लान समज गया था। पर वो भी राजा के हूकम के आगे लाचार थे। वीर मेघमाया ने भी नक्की कर लिया कि, मरते-मरते मेरी समाज का भी भला करता जाऊं। विर मेघमाया की बलि का दिन नक्की हो गया। वीर मेघमाया को पानी की वाव उतारा गया, तब विर मेघमाया ने राजा को मरने से पहले कूछ वचन मागा गया।

एक मेरी समाज के लोगों को आगे कूलडी और पिछे झाडू को नाबूद किया जाय। दूसरा सवणॅ लोग मकान बनाते तब मकान के मोभ अछूत के द्वारा रखा जाए।

राजा ने सारी बात मान्य रखी और सेनापति को हूकम दिया। सेनापति ने धारदार तलवार उठाइ और जोर से एक ही झटके में वीर मेघमाया का धड गरदन से अलग कर दिया।

मेरे प्यारे दोस्तों जरा सोचिए वीर मेघमाया का प्राण कैसे गया होगा।

गुजरात राज्य में पहला अछूत वीर मेघमाया शहीद हो गया। फिर भी हमारे पढे लिखे लोगों को वीर मेघमाया की शहादत याद नहीं आ रही है और जो लोग अछूतों को कायम अछूत ही रहे ऐसे प्रयास करने में जो लोग मर गये उनको अपना शहीद मानकर शहादत को याद करके बडे जोर से शोक मनाते हैं।

दोस्तो, मैं बडे दुखसे कहता हूँ कि अगर हमारी समाज में वीर मेघमाया, ज्योतिबा फूले, डाॅ.बाबासाहब आंबेडकर जैसे महापुरुषों की देन की ही वजह से ही हम लोग सूख चेन से जी रहे हैं।

अगर हमारी समाज मे महापुरुष पैदा नही होते तो न जाने कैसा हाल होता समाज का।

"जय मेघवंश  जय भारत जय भीम जय कबीर

12 comments:

GG Reply To This Comment said...

धन्यवाद सर , बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी दी, जय मेघवंश जय मूलनिवासी

Unknown Reply To This Comment said...

Sir Jay bhim
Namo buddhmay

PINAKIN Reply To This Comment said...

Jay bhim

Unknown Reply To This Comment said...

Yah baat Hamare kafi BHAIO ko pata bhi nahi hogi jra Ise whats app ya kisi or social midia ke jariye pahonchaya jaye
JAY BHIM
NAMO BUDDHAY

Hardik Muchhadi Reply To This Comment said...

Thank you brother

Unknown Reply To This Comment said...

मेने आपकी कहानी पढी।
आपकी इस कहानी से विर मेघमाया के बलीदान कम हो जाती हैं। जब कोई भी बलीदान होता है वो अपनी मर्जी से ही होना चाहिए।
पाटन की प्रजा के लिए विर मेघमाया ने बलीदान दीया। विर मेघमाया बत्तीस लक्सन वाले पुरुष थे। सारे गुजरात के राजा सिध्धराज जो राजा थे लेकिन एक दलित के सामने याचक बन गये। विर मेघमाया का रूतबा एक महान दाता का बन गया । और जिसके सामने राजा सिध्धराज याचक बना था। सोंचो वह लम्हा कीतना महान होगा कि एक दलित के सामने एक राजा भीखारी था। जो बहोत ही गौरव की बात है। वीर मेघमाया ने ऊन प्रजा के लिये भी महान दाता थे। उन प्रजा को अपना बलीदान देके जीन्दा रखा। वो प्रजा भी एक दलित की याचक हुई। और दलित की ऋणी बनी।

Unknown Reply To This Comment said...

Hindu bano ekta rakho aur pahele desh ki seva karo aaj koi dalit nahi koi kshtriya nahi koi brahman nahi sab Hindu he aur koi puChe tum kon ho to bolna Sikh lo garv se ha hum Hindu he

Unknown Reply To This Comment said...

Hindu ho tum Hindu bano budh vese bhi bahot he

Unknown Reply To This Comment said...

Aaj koi brahmin ya savarn samaj k logo mese 95% log dalito ko bhai mante he aur jo nahi bhi mante uska reason he non veg bhai vegetables he wo khao na koi tumhe achut nahi karega sab janwar ka mas khate ho to sab dhikkar hI denge na ek bar aapni life style sudharo aur ache aadmi ki tarah rehna Sikh lo mutton chicken bandh karo mas khana bandh karo koi tumhe nahi dhikkarega

Unknown Reply To This Comment said...

Bhai...inse jyada log bhramin mas khate he.... Mundi utha K dekh le.... Or daru bhi pite he.... Koi kahene wala nahi Kya unko...

Unknown Reply To This Comment said...

सही बता बताई भाई मनुवादी लोगों ने हमारा इतिहास को चुपके रखा है

Unknown Reply To This Comment said...

Ved padhake dekh lo sare bramhan gaay ka maas khate the...To brahman kyu achhut nahi hua?

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